सबसे मुश्किल कार्य देश को बदलना नहीं, खुद में बदलाव लाना है|

भारत के युवा. . .

सुमंत

अक्सर ये चर्चा सुनाई देती है की भारत शीघ्र ही दुनिया के प्रमुख शक्तिशाली एवं विकसित देशो की श्रेणी में पहुँचजाएगा। इसके जो विभिन्न कारण गिने जाते है, उनमे एक मुख्या कारण यह है कि भारत कि लगभग ५०% जनसंख्या युवा है और यही युवा पीढ़ी भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण करेगी।
समय के साथ-साथ जैसे सभी क्षेत्रो में परिवर्तन हुए है, उसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में भी कई बदलाव हुए है।पारंपरिक विषयो के अलावा अनेक नए पाठ्यक्रम शुरू हुए हैं और आज भारतीय युवाओं के पास शिक्षा के विभिन्नविकल्प उपलब्ध हैं। इसका लाभ ये हुआ है कि हमारे देश के युवाओं ने अपनी रुचियों और क्षमताओं के अनुसारविषय का चुनाव किया और प्रत्येक क्षेत्र में भारत के युवा छा गए। चाहे चिकित्सा का क्षेत्र हो या साहित्य का, शिक्षाका क्षेत्र हो या व्यापार का, Computers का क्षेत्र हो या अंतरिक्ष अनुसंधान का; हर जगह, हर क्षेत्र में, हर देश में, भारतीय युवाओं ने अपनी छाप छोड़ी है। भारत के युवा जिस देश में गए, वहाँ उन्होंने उस देश कि उन्नति के लिएअपनी पूरी क्षमता का उपयोग मेहनत, इमानदारी और निष्ठा के से किया.इससे दुनिया में भारत का सम्माननिश्चित ही बढ़ा है।
यह तो नि:संदेह गर्व और प्रसन्नता का विषय है कि भारत के युवा जिस देश में भी गए हैं, वहा उन्होंने अपनापरचम लहराया है। लेकिन, इससे जुड़े कुछ और पहलू भी हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। भारतीययुवाओं ने विशव के सभी देशों में जाकर सफलता प्राप्त की है और उन देशों के विकास में अमूल्य योगदान दिया है।लेकिन, आज भारत कि स्थिति क्या है? भूख, गरीबी, बेरोज़गारी, बीमारी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिगत द्वेष, अपराध आदि जैसी जाने कितनी चुनौतियों से अपना देश जूझ रहा है। हर दिन स्थिति बिगड़ती जा रही है। क्याइसे सुधारने के प्रति हमारा कोई कर्तव्य नहीं है?कभी जो आतंकवाद सिर्फ़ देश के सीमावर्ती राज्यों तक सीमितथा,आज वह पूरे देश में फ़ैल चुका है। जम्मू-काश्मीर से तमिलनाडु तक और राजस्थान से मणिपुर तक हर राज्यसे आतंकवादी घटनाओं कि खबरें मिलती रहती हैं। केरल से पश्चिम बंगाल तक सैकडो जिलों में नक्सलीगतिविधियाँ बढ़ रही हैं। पड़ोसी देशों से होने वाली घुसपैठ लगातार जारी है। दूसरी और हमारी सेना योग्य अफसरोंकी कमी से जूझ रही है। वायुसेना के अनेक Pilots ज्यादा वेतन और आरामदायक जीवन की चाह में निजी विमानकंपनियों का रूख कर रहे हैं। हमारे स्कूलों और महाविद्यालयों में पढ़ने वाले हजारों युवाओं के मन में USA,UK याऑस्ट्रेलिया जाने का सपना पल रहा है, लेकिन ऐसे कितने हैं, जो भारतीय सैन्य दल में जाना चाहते हैं?ऐसे कितनेहैं, जो विदेश में नौकरी के लुभावने प्रस्ताव को ठुकराकर अपना पूरा जीवन अपने देश की प्रगति के लिए समर्पितकरना चाहते हैं?
हमें गर्व होता है की अमरीका में बड़ी संख्या में भारतीय डॉक्टर कार्य करते हैं और उन्हें वहाँ बहुत सम्मान भीमिलता है। दूसरी और ये खबरें भी सुनाई देती हैं की आवश्यक स्वस्थ्य सुविधाओं और दवाओं के अभाव में ग्रामीणक्षेत्रों में रोज़ अनेक बच्चों और रोगियों की मृत्यु हो रही है। मेरे मन में प्रश्न उठता है की अमरीका में रह रहे जिनभारतीय डॉक्टर पर हमें गर्व होता है, यदि वे सुख सुविधाओं और धन की बजाय देश-सेवा को अधिक महत्व देते तोक्या हमें उन पर और अधिक गर्व नही हुआ होता? हम NASA में कार्य कर रहे भारतीयों की चर्चाएं भी अक्सरसुनते हैं। इसमें संदेह नही है की अंतरिक्ष अनुसंधान का महान कार्य सम्पूर्ण मानवता के लिए है। लेकिन, मानवताके हित का जो कार्य हमारे भारतीय युवा नासा में जाकर कर रहे हैं, वह भारत की अंतरिक्ष संस्था इसरो में भियो तोकिया जा सकता था!! आज अनेक युवा वैज्ञानिकों का ध्येय नासा में कार्य करने का है, लेकिन हमारे देश का हरयुवा डॉक्टर अवुल पकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम जैसा क्यों नही है, जिन्होंने किसी विदेशी संस्था के लिए कामकरने की बजाय देश में रहकर अनुसंधान करना ही ज्यादा पसंद किया? हम सभी आज नासा के Missions परकाम कर चुके भारतीय वैज्ञानिकों को जानते हैं, लेकिन हम में से कितने लोगों को भारत के एक मात्र अन्तरिक्षयात्री श्री राकेश शर्मा का नाम भी याद है?
मैं विदेशों में जाकर शिक्षा प्राप्त करने, धन कमाने या अनुभव हासिल करने का विरोधी नहीं हूँ। अच्छे से अच्छाऔर आधुनिक ज्ञान प्राप्त करना, अधिक से अधिक धन-सम्पन्नता और सुख-सुविधा की इच्छा करना, ये सभीप्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकता भी है और अधिकार भी। इनकी प्राप्ति के लिए सभी तरह के उचित और नैतिक मार्गोंसे प्रयास भी करना चाहिय। लेकिन, अपनी आवश्यकताओं और अधिकारों की पूर्ति करते हुए हमें अपने देश कीआवश्यकताओं और इसके प्रति अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए। हम यह याद रखें की केवल TAX के रूप मेंकुछ रुपये सरकार को दे देने से हमारा कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता। इस देश में जन्म लेकर, यहाँ के अन्न से पोषणपाकर, इस देश के संसाधनों का उपयोग करके, इस देश में शिक्षा प्राप्त करना और फ़िर इसे हमेशा के लिए छोड़करविधेसों में बस जाना ठीक नही है। यदि कोई देश से बाहर जाना ही चाहता है, तो कुछ वर्षों तकवहाँ रहकर उसे लौटआना चाहिए और वहाँ से प्राप्त ज्ञान,धन और अनुभव का उपयोग भारत की प्रगति के लिए करना चाहिए। यहाँ मैंयह भी स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ की कुछ वर्षों में लौट आने का अर्थ यह नहीं है की हम पूरी क्रियाशील युवावस्थाविदेशों में बिताएं और जीवन के अन्तिम वर्षों में अपने बुढापे का बोझ भारत पर डाल दें।
हम में से अधिकांश लोग देश की वर्तमान चिंताजनक स्थिति और भीषण समस्याओं के लिए सरकार को दोष देतेहैं। यह सही है की स्वतन्त्रता के बाद भी हमारी सरकारों ने अंग्रेजों की बनाई हुई नीतियों को ही जारी रखा और उन्हेंबढावा भी दिया। लेकिन, हमें यह नहीं भूलना चाहिए की ग़लत नीतियां बनने के लिए यदि सरकार दोषी है, तो ऐसीसरकारों को चुनने वाले मतदाता के रूप में हम भी दोषी हैं, और जो मतदान करते ही नहीं, वो तो और भी अधिकदोषी हैं क्योकि मतदान केवल हमारा लोकतान्त्रिक अधिकार ही नही, बल्कि हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य भी है। इसलिएहमें जागरूक रहकर देश-हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ही पाने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए।
मैं इस बात से सहमत हूँ की भरात की युवा पीढी ही देश के उज्जवल भविष्य का निर्माण करेगी। लेकिन, हमें यहयाद रखना होगा की भरात का पुनर्निर्माण इस देश को छोड़कर चले जाने से नही होगा। वह तभी हो सकता है,जबहम देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझे और इसकी प्रगति में अपना पूरा योगदान करें।
मुझे इस बात का पूरा अहसास है की देश-सेवा और कर्तव्य आदि बातो को पढ़कर कुछ लोग शायद मेरा उपहास भीकरेंगे, लेकिन मैं स्पष्ट कहना चाहता हूँ की मैंने ऐसे लोगो के लिए ये सब लिखने का कष्ट नहीं किया है। मैंने तो उनलोगों के लिए ये सब लिखा है, जिनके मन में आज भी अपना महान भारत समाया हुआ है। ऐसे सभी युवाओं सेमेरी यही अपील है की किसी भी प्रकार के भ्रम में पड़ते हुए केवल अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनें और अपनेदेश की प्रगति में पूरा योगदान करें।
आप सबकी प्रतिक्रियाओं का मुझे इंतज़ार रहेगा। सृजनात्मक (Creative) सुझावों और सकारात्मक (Positive) आलोचनाओं का मैं हमेशा खुले दिल से स्वागत करूँगा। आपने मेरे विचारों को पढने के लिए अपना समय दिया, इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ।

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