सबसे मुश्किल कार्य देश को बदलना नहीं, खुद में बदलाव लाना है|

वरुण गाँधी: क्या यही हैं आज के युवा नेता?

समाचार देखते वक्त ऐसी कई चीज़ें हैं जो हमारा ध्यान आकर्षितकरती हैं| कुछ ही दिन पहले, एन डी टी वी द्वारा पेश की गई एक ख़बरने मेरा ध्यान आकर्षित किया| यह ख़बर थी जानवरों के अधिकार केलिए लड़ने वाली एवं जानी मानी राजनेता मेनेका गाँधी के सुपुत्रवरुण गाँधी की| श्री इन्द्रा गाँधी के नाती, एवं श्री पंडित जवाहरलालनेहरू के पर-नाती, वरुण गाँधी ने हाल ही में पिल्भित में अपने पहलेचुनाव अभियान में कई आपत्तिजनक शब्दों एवं वाक्यांशों का प्रयोगकिया| वरुण लोक सभा के चुनाव पिल्भित से लडेंगे, जहाँ से उनकी माँ पाँच बार विजयी रहीं हैं|

किसी ने भी वरुण गाँधी से यह उम्मीद नही की थी के वह मुसलमानों पर सीधा निशाना तानेंगे| उन्होंने साफ़ शब्दोंमें कहा "सारे हिंदू इस तरफ़ हो जाओ और बाकियों को पाकिस्तान भेज दो"|
वरुण गाँधी द्वारा की गई इस हरकतपर भारतीय जनता पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई किंतु भाजपा ने एक पार्टी के रूप में चुप्पी साधी हुईहै| कांग्रेस ने मौके का सही फायदा उठाते हुए वरुण गाँधी की राहुल गाँधी से तुलना की|

सवाल यह है कि क्या यही है हमारी युवा राजनीति? भारत ने पिछले कुछ सालों में कई सांप्रदायिक दंगे देखे हैं, चाहेवह गोधरा काण्ड हो या फिर अयोध्या काण्ड या कंधमाल के दंगे हों, भारतवासी अब किसी प्रकार के सांप्रदायिकदंगे नही चाहते| अर्ध साक्षर ग्रामीण जनसँख्या को अपनी और खीचना आसन है, किंतु अब भारत जागरूक हों गयाहै| यह हम पर निर्भर है कि हम ऐसे भाषण सुने या सुने| तो आप क्या चाहते हैं?

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